केरल और पंजाब के बाद पश्चिम बंगाल की ममता सरकार भी नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रस्ताव लाएगी। इसके लिए सरकार ने 27 जनवरी को दोपहर 2 बजे विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लगातार इस कानून के खिलाफ बोलती रही हैं। उन्होंने सोमवार को कहा था, “हम तीन महीने पहले एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर चुके हैं। अगले तीन-चार दिनों में हम सीएए के खिलाफ भी प्रस्ताव पारित करेंगे।”
केरल और पंजाब ने विधानसभा में प्रस्ताव पास किया
पंजाब विधानसभा ने 17 जनवरी को सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पास किया था। वहीं केरल विधानसभा में इसके खिलाफ 31 दिसंबर को प्रस्ताव पारित हुआ था। 4 जनवरी को केरल सरकार सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी पहुंची थी। सरकार का तर्क था कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 25 का उल्लंघन है। सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पहले ही 60 याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं। कोर्ट इन सभी पर 22 जनवरी को सुनवाई करेगा।
8 राज्य सरकारों ने सीएए लागू न करने को कहा था
बंगाल, राजस्थान, केरल, पुड्डुचेरी, पंजाब, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की सरकार ने कहा था कि वे इस कानून को लागू नहीं करेंगे। इन 8 राज्यों में देश की 35% आबादी रहती है। वहीं, 3 और राज्य सरकारों ने सीएए का विरोध करने की बात कही है। हालांकि कानून लागू करने के मुद्दे पर उनका रुख साफ नहीं है। पिछले साल संसद के शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार ने इस कानून को लोकसभा-राज्यसभा में पास कराया था। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 10 जनवरी को सीएए को लेकर अधिसूचना जारी की थी।