कोरोना से लड़ाई / दुनियाभर में 50 से ज्यादा इंस्टीट्यूट-कंपनियां वैक्सीन बनाने में जुटे

भारत में कोरोनावायरस के बढ़ते खतरे की बीच केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने राज्यसभा में कहा है कि देश कोरोनावायरस का मुकाबला करने के लिए पूरी तरह से तैयार है और घबराने की जरूरत नहीं है। डॉ हर्षवर्धन ने बताया कि कोरोना वायरस की वैक्सीन की टेस्टिंग चल रही है और सरकार काफी मुस्तैद है। 


दूसरी ओर, चाहे चीन हो, इटली हो या फिर अमेरिका, लॉक डाउन और आइसोलेशन जैसे कड़े कदमों के बाद COVID- 19 को रोकने में मनचाही सफलता नहीं मिल रही है। वैश्विक महामारी घोषित होने के बाद अब उम्मीदें वैक्सीन की ओर लगी हैं। अच्छी बात यह है जिस तरह से वैज्ञानिकों ने सार्स, मर्स और इबोला जैसी बीमारियों के लिए वैक्सीन बनाने में जैसी एकजुटता दिखाई थी, वैसी ही कोरोना में देखने को मिल रही है। 


चीन ने सबसे पहले सार्स-CoV-2 के जेनेटिक मटेरियल की जांच पूरी करके उसे जनवरी में ही दुनियाभर के वैज्ञानिकों के साथ साझा कर लिया था, इसके बाद प्रोटोटाइप और अब प्रभावी वैक्सीन के परीक्षण और डेटा कलेक्शन की दिशा में तेजी से काम हो रहा है। अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ ने कहा है कि मार्च में पहला ट्रायल शुरू होने के बाद अब तीन महीन डेटा जमा करने में लगेंगे। इसके बाद अगला चरण शुरू होगा।


मेडिकल साइंस अपडेट:   दुनियाभर में 50 से ज्यादा मेडिकल इंस्टीट्यूट और कंपनियां COVID- 19 का वैक्सीन बनाने में दिन-रात जुटी हैं। चीन, अमेरिका और इजराइल की चार कम्पनियां तो वैक्सीन का जानवरों पर परीक्षण भी कर चुकी हैं। यूएस बायोमेडिकल एडवांस रिसर्च एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी इसके लिए प्राइवेट कंपनियों के वैज्ञानिकों को साथ लेकर आगे बढ़ रही है। फ्रेंच कम्पनी सनोफी पाश्चर और जॉनसन एंड जॉनसन जैसी कंपनियां इस प्रोजेक्ट में साथ काम कर रही हैं। अमेरिका के बोस्टन की बेस्ट बायोटेक कंपनी मोडेर्ना ने 16 मार्च को साहसिक कदम उठाते हुए इंसानों पर भी वैक्सीन का परीक्षण शुरू कर दिया है। जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी न्यूज के सर्वे के मुताबिक सरकारी संस्थानों के अलावा ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन और सनोफी जैसी बड़ी और मॉडर्ना और ग्लीड साइंसेज जैसी छोटी कंपनियां तेजी से वैक्सीन के परीक्षण में लगी हैं, फिर भी 2020 में इसके मार्केट में आने की संभावनाएं कम हैं।